जब हम ऐतिहासिक किरदारों को काले-सफेद में विभाजित करके देखते हैं तो इतिहास को गल्प की श्रेणी में ला खड़ा करते हैं। इतिहास के साथ इससे बड़ा कोई अन्याय नहीं हो सकता।
जब हम इतिहास को नायक और खलनायक की कहानी के रूप में देखते हैं, तो समस्या उठ खड़ी हो जाती है। कारण यह कि हम जिसे अपना नायक मान लेते हैं, उसकी एक सुपरहीरो-सी छवि मन में बना लेते हैं। फिर हम उसके बारे में सिर्फ भला-भला ही सोचना, सुनना और पढ़ना चाहते हैं। हमारी कल्पनाओं में वह तमाम सद्गुणों की खान होता है। हमारी गढ़ी गई इस छवि के विपरीत कोई बात सामने लाई जाए तो हमारी भावनाएं आहत हो जाती हैं। वहीं जिसे हम खलनायक मानते हैं, उसमें सिर्फ और सिर्फ बुराइयां ही देखना चाहते हैं। कोई उसके व्यक्तित्व या कृतित्व के किसी सकारात्मक पक्ष को सामने रखे, तो हम उसे खारिज कर देते हैं।
जबकि सच तो यह है कि इतिहास आपके-हमारे जैसे इंसानों की ही दास्तान है। हमारी तरह उनके व्यक्तित्व में भी अच्छाई-बुराई दोनों का समावेश था। उनमें खूबियां थीं, तो कमज़ोरियां भी थीं। उन्होंने अच्छे काम किए, तो कभी गलतियां भी की। परफेक्ट हीरो या परफेक्ट विलेन किस्से-कहानियों में तो होते हैं मगर असल जीवन में नहीं हो सकते। जब हम ऐतिहासिक किरदारों को काले-सफेद में विभाजित करके देखते हैं तो इतिहास को गल्प की श्रेणी में ला खड़ा करते हैं। इतिहास के साथ इससे बड़ा कोई अन्याय नहीं हो सकता।
जब आप निर्लिप्त, निरपेक्ष भाव से इतिहास पढ़ेंगे, तभी आप इसके सच्चे विद्यार्थी हो पाएंगे। इतिहास का काम अतीत के पन्नों को उघाड़ना, जानना-समझना है, न कि आपकी पहले से तय धारणाओं की पुष्टि कर आपको संतोष प्रदान करना। यही कारण है कि इतिहास को गर्व या शर्म से जोड़ना भी गलत हो जाता है। यह गर्वित या शर्मिंदा होने का विषय है ही नहीं। यह तो अतीत के घटनाक्रम का दस्तावेज भर है। यदि आप गर्व की तलाश में इतिहास पढ़ने बैठेंगे तो आंखों पर एकरंगी चश्मा और दिमाग पर फिल्टर लगा लेंगे, जिसमें से केवल अच्छा-अच्छा ही छनकर आए। तब आपके सामने जो होगा वह आधा-अधूरा, छद्म इतिहास होगा।
इतिहास को नायक-खलनायक तथा गर्व और शर्म के नज़रिये से देखने का एक खतरनाक दुष्परिणाम यह भी है कि ऐसे में अतीत का “हिसाब बराबर करने” व “अन्याय का प्रतिशोध लेने” की भावना पनपती है। इसके कारण आपसी वैमनस्य फैलता है, जो हमारे वर्तमान को एक निरर्थक कलह में झोंककर भविष्य को भी अंधकारमय बना देता है।
समझदार इतिहास से सीखकर भविष्य को संवारते हैं। नासमझ इतिहास का हिसाब बराबर करने के फेर में भविष्य को ही संकट में डाल देते हैं।
(प्रतीकात्मक चित्र इंटरनेट से)
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