Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2020

कर्फ्यू किस्सा…

कर्फ्यू लगा होने पर खौफ के वातावरण और पुलिसिया बर्बरता के किस्से अक्सर सुनने में आते हैं लेकिन कभी-कभी इससे बिलकुल विपरीत प्रकृति के किस्से भी सामने आते हैं। बात 1990 की है, जब लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के दौरान गिरफ्तारी के बाद देश के कई हिस्से कर्फ्यू के साये में थे। इंदौर के पास स्थित सैनिक छावनी महू ( अब डॉ अंबेडकर नगर ) में मेरी बुआ अकेली रहती थीं और उन दिनों उनकी तबीयत भी कुछ नासाज़ थी। यूँ काम वाली बाई हारी-बीमारी में उनकी तीमारदारी भी कर लेती थी लेकिन कर्फ्यू के चलते वह भी अपने घर में कैद थी। बुआ के घर से कोई सौ-डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर उनकी बचपन की सहेली रहती थीं। उन्हें बुआ की चिंता सता रही थी। एक दिन उन्होंने बुआ के लिए दलिया बना लिया लेकिन दिक्कत यह थी कि उसे बुआ तक पहुँचाया कैसे जाए क्योंकि कर्फ्यू का बड़ी कड़ाई से पालन कराया जा रहा था। ऐसे में उनकी नज़र घर से कुछ दूर तैनात युवा पुलिस कांस्टेबल पर पड़ी। बस, दादी-नानियाँ जिस रौब और अधिकार से मोहल्ले के बच्चों-युवाओं को आदेश सुनाती हैं, कुछ उसी अंदाज़ में उन्होंने उस कांस्टेबल को पास बुलाया और सीधे-सीधे कह दिय