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अंकलजी बने शहंशाह



जब लड़कियों को सिगरेट पीते देख अंकलजी का खून खौला, तब उन्होंने तय किया कि उन्हें ही अब कुछ करना होगा।
शहंशाह बनना होगा।

 

 

एक बुजुर्ग अंकल हैं। उन्हें कई दिनों से बड़ा गुस्सा आ रहा था। समाज में फैली बुराइयाँ उन्हें एंग्री ओल्ड मैन बना रही थीं। अपने इलाके के एक कैफे के बाहर खड़े होकर सिगरेट पीने वाली लड़कियाँ तो उन्हें खासतौर पर कुपित कर रही थीं। बस, अंकल ने सोच लिया कि बुराई को खत्म करने के लिए अपने को ही कुछ करना होगा।

यूँ देश-समाज में ढेरों बुराईयाँ व्याप्त हैं मगर अंकलजी की नज़रों में शायद सबसे ज्वलंत बुराई यही है कि लड़कियाँ सिगरेट पीकर बिगड़ रही हैं। वैसे उन लड़कियों के साथ लड़के भी कैफे के बाहर खड़े होकर सिगरेट पीते थे लेकिन उनकी बात और है। आफ्टर ऑल, बॉइज़ विल बी बॉइज़। खैर, अंकलजी ने तय किया कि उन्हें ही समाज को सुधारने के लिए निकलना होगा।

अपने ज़माने में अंकलजी फिल्मों के बड़े शौकीन रहे हैं। और अपने ज़माने के अधिकांश सिने प्रेमियों की ही तरह बिग बी के ज़बर्दस्त फैन भी रहे हैं, जिन्हें तब बिग बी नहीं बल्कि एंग्री यंग मैन कहा जाता था। तो जब लड़कियों को सिगरेट पीते देख अंकलजी का खून खौला, तब उन्होंने तय किया कि उन्हें ही अब कुछ करना होगा। शहंशाह बनना होगा।

फिर क्या था! अंधेरी रात में सुनसान राह पर अंकलजी चल पड़े जलाकर राख कर दूंगा टाइप भावना लिए। …और उस कैफे में आग लगाकर भाग लिए। सिगरेट पिलाकर लड़कियों को बिगाड़ने वाला कैफे धू-धू कर जल गया। अंकलजी शहंशाह वाली फीलिंग लिए घर लौट आए। उन्हें ध्यान नहीं रहा कि अब वह पहले वाला ज़माना नहीं रहा। आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों में अंकल कैद हो चुके थे। पकड़े गए। पुलिस को शहंशाह बनकर समाज सेवा करने की अपनी रामकहानी सुना दी।

इस किस्से से हमें क्या शिक्षा मिलती है? यही कि सिनेमा देखकर बच्चे बिगड़ते हैं, तो वही सिनेमा देखकर बुजुर्ग समाज सेवा की राह पर चल भी पड़ते हैं। शहंशाह बन बुराइयों का नाश करने निकल पड़ते हैं। ऐसे कुछ और शहंशाह समाज को मिल जाएं, तो कम से कम छोरियों के सिगरेट पीने जैसी बुराइयों का तो अंत किया ही जा सकता है। बाकी बाद में देखा जाएगा।

*इंदौर में घटित एक सत्यकथा का (थोड़ा) नाटकीय रूपांतर

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