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चौपट राजा अमर भये


मगर यदि सबको दिन में सोकर रात्रि में काम करना है, तो बिना दीयों के वे कुछ देख कैसे पाएंगे, महाराज?” शाही वज़ीर ने चिंतित भाव से प्रश्न किया।

उन्हें कुछ देखने की आवश्यकता ही क्या है?” चौपट राजा बोल पड़े।हम हैं न, हम ही लोगों को बताएंगे कि क्या है और क्या नहीं। प्रजा वही देखेगी, जो हम उसे दिखाएंगे। इससे हमें भी शासन करने में सुविधा होगी और प्रजा का मन भी इधर-उधर राष्ट्र विरोधी बातों में नहीं भटकेगा।



 

 चौपट राजा ने मंत्रिमंडल की विशेष बैठक बुलाई थी। सारे मंत्री दरबार में एकत्र हो चुके थे। तभी महाराज ने अपने चिर-परिचित ठस्के के साथ प्रवेश किया। मंत्री भी अपने चिर-परिचित अंदाज़ में जयकारा लगाने लगे, चौपट राजा की… जय!”

… जय!”

… जय!”

इतना सुनत ही अपने सिंहासन की ओर बढ़ रहे चौपट महाराज पल भर को रुक गए और अपने परम प्रिय शाही वज़ीर की ओर उन्मुख होकर बोले, इससे याद आया! तुम्हारा सुपुत्र कैसा है? खेल-खेल में राजकाज के तौर-तरीके सीख रहा है कि नहीं?”

महाराज के मुखारविंद से अपने सपूत का उल्लेख सुन शाही वज़ीर की आँखें चमचमा उठीं और वे बोल पड़े, आपकी कृपा से सीख रहा है, महाराज। जल्द ही सीख जाएगा।

चौपट राजा ने इस पर संतुष्टि भाव से श्वास लिया और आगे बढ़कर अपना आसन ग्रहण किया। सारे मंत्रियों के भी आसन ग्रहण करते ही महाराज ने अपना संबोधन शुरू किया, आज की बैठक का एक विशेष प्रयोजन है। इस प्रयोजन के विषय में हमने कुछ तय किया है, जो हम आपको बताने जा रहे हैं।

आम तौर पर महाराज कुछ तय करने के बाद ही मंत्रिपरिषद की बैठक आहूत करते थे। समस्त मंत्रियों ने राहत की सांस ली कि इस बार भी उनके ऊपर कुछ तय करने का भार न होगा, उन्हें केवल अपना सिर हल्के-से हिलाकर हामी मात्र भरनी होगी।

प्रयोजन क्या है, महाराज?” शाही वज़ीर ने पूछ डाला।

चौपट राजा ने उत्तर दिया, हमें अमर होना है।

बस, इतनी-सी बात महाबली? इसमें क्या है! आज ही अपना नाम बदलकर अमर रख दीजिए। नाम बदलने का तो हमें लंबा अनुभव है।

महाराज के मुखमंडल पर तनिक चिढ़ का भाव आ बैठा। बोले, जल्दबाज़ी में कर दी ना फालतू बात! हमें अपना नाम नहीं बदलना, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम वास्तव में इतिहास में अमर हो जाएं। इसके लिए हमने कुछ उपाय भी सोचे हैं, जिन्हें शीघ्रातिशीघ्र लागू किया जाएगा। वास्तव में ये उपाय राष्ट्र में व्यापक बदलाव लाने से संबंधित हैं। ऐसे बदलाव, जिनसे हमारा नाम इतिहास में अमर हो जाएगा।

किस प्रकार के बदलाव, महाराज?” शाही वज़ीर ने धीरे से पूछा।

कई बदलाव हैं, चौपट राजा बोले, उदाहरण के लिए, अब पूरब को पश्चिम और पश्चिम को पूरब कहा जाएगा। याने हमारे शासन में सूरज पश्चिम में उगा करेगा। हमारा राज्य संसार के एकमात्र राज्य होगा, जहाँ यह चमत्कार होगा।

अद्भुत! अद्भुत!” सारे मंत्री बोल उठे।

वाहन सीधी के बजाए उल्टी दिशा में चलाए जाएंगे। लोग अब दिन में काम और रात में आराम नहीं, रात में काम और दिन में आराम किया करेंगे,” चौपट राजा ने अपने विलक्षण उपाय गिनाने जारी रखे। फिर बोले, ऐसे ही कई और उपाय हैं, जिनकी लिखित सूची की प्रतियाँ आप सबको उपलब्ध करवा दी जाएंगी।

वाह, महाराज! हम सबको विश्वास है कि शेष उपाय भी इतने ही शानदार होंगे, शाही वज़ीर ने समस्त मंत्रियों की ओर से वाहवाही ज्ञापित करने का अपना कर्तव्य निभाया। मगर चौपट राजा की बात अभी पूरी नहीं हुई थी।

और अब सबसे प्रमुख उपाय…, महाराज के इतना बोलते ही सारे मंत्री बैठे-बैठे ही सावधान की मुद्रा में आ गए। जैसा कि आप सब जानते हैं, हमारा नया, भव्य राजमहल शीघ्र ही बनकर तैयार होने जा रहा है। हमने तय किया है कि इसके प्रांगण में एक विशालकाय मशाल सदा प्रज्वलित रहेगी। हम इसे राष्ट्र मशाल का नाम देंगे। यह हमारे राष्ट्र के दैदीप्यमान अतीत, तेजस्वी वर्तमान व ओजस्वी भविष्य की प्रतीक होगी। हम स्वयं इसे प्रज्वलित करेंगे मगर यह भी सुनिश्चित करेंगे कि आम जनता स्वयं को इससे अलग-थलग या उपेक्षित अनुभव न करे।

वह कैसे, महाराज?” शाही वज़ीर ने जिज्ञासा जताई।

वह ऐसे कि राज्य के प्रत्येक घर में जल रहे सारे दीये अधिग्रहीत कर हम उन्हें हमारी मशाल को अर्पित कर देंगे। इससे देश में ईंधन की बचत होगी और साथ ही राष्ट्रीय एकता की भावना भी बलवती होगी।

यानी सारे घरों के दीये बुझा दिए जाएंगे! लोग विरोध नहीं करेंगे, महाराज?

हम उन्हें समझा देंगे कि हमने उनके घरों के दीये बुझाए नहीं हैं, उन्हें राष्ट्र मशाल में विलीन किया है और इस प्रकार उन्हें राष्ट्र को प्रकाशमान करने में अपना योगदान देने का अवसर दिया है।

मगर यदि सबको दिन में सोकर रात्रि में काम करना है, तो बिना दीयों के वे कुछ देख कैसे पाएंगे, महाराज?” शाही वज़ीर ने चिंतित भाव से प्रश्न किया।

उन्हें कुछ देखने की आवश्यकता ही क्या है?” चौपट राजा बोल पड़े।हम हैं न, हम ही लोगों को बताएंगे कि क्या है और क्या नहीं। प्रजा वही देखेगी, जो हम उसे दिखाएंगे। इससे हमें भी शासन करने में सुविधा होगी और प्रजा का मन भी इधर-उधर राष्ट्र विरोधी बातों में नहीं भटकेगा।

कुछ क्षण के लिए सभा में सन्नाटा छा गया। फिर एक-एक कर सारे मंत्रियों को आभास हुआ कि चौपट राजा ने एक बार फिर उस्तादों वाला दांव चल दिया है, जिसे आंग्ल भाषा में मास्टर स्ट्रोक कहा जाता है। इसके साथ ही दरबार में पुनः गूंज उठा, चौपट राजा की… जय!”

… जय!”

… जय!” 


(प्रतीकात्मक चित्र इंटरनेट से)

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