क्या यूँ ही कोई चंद रोज हमारे इर्द-गिर्द मंडराकर हमारा चाँद होने का दावेदार
बन सकता है?
हमारे चाँद को
एक प्रतिद्वंद्वी मिल गया है। आसमान की भीड़ में एक नया चाँद पाया गया है। मज़ेदार
बात यह है कि यह नया चाँद करीब तीन साल से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है लेकिन अब
जाकर नज़र आया है। यूँ इसे चाँद नहीं, लघु चाँद (मिनी मून) कहा जा रहा है। कारण यह
कि आकार में यह अत्यंत छोटा है… तकरीबन मध्यम आकार की कार के बराबर।
…तो बरसों पहले
गुलज़ार साहब की लिखी पंक्ति “चाँद चुराके लाया हूँ…” जिन्हें सरासर अव्यवहारिक लगी थी, वे जान लें कि अब वास्तव में चुराए जा सकने
वाले आकार का चाँद आसमान में मौजूद है।
खैर, सवाल यह है कि हमारे चिर-परिचित चंदा मामा का एकाधिकार खत्म करने वाला यह
नया चाँद आखिर कहाँ से आ टपका! वैज्ञानिक बताते हैं कि दरअसल यह अंतरिक्ष में भटकता हुआ एक
क्षुद्रग्रह है, जो धरती के गुरुत्वाकर्षण के चलते इस तरफ खिंचा चला आया। चूँकि यह
फिलहाल पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है, सो यह उपग्रह की परिभाषा पर खरा उतरता है और
चूँकि यह मानव निर्मित न होकर प्राकृतिक है, सो इसे चाँद कहा जा सकता है।
…तो युगों से
अमावस से पूनम और पूनम से अमावस तक बहुत हद तक हमें अपने इशारों पर नचाने वाले
चाँदजी जान लें कि वे कोई अकेले-इकलौते नहीं हैं!
यूँ अकेले-इकलौते ये कभी नहीं रहे। जी हाँ, वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे लघु
चाँद पृथ्वी की कक्षा में हमेशा से आते-जाते रहे हैं (यानी हमारी धरती “एक चंद्रव्रता”
कभी नहीं रही!) मगर
ये इतने छोटे होते हैं कि नज़र नहीं आते। जैसे-जैसे उन्नत किस्म के टेलीस्कोप आते
जा रहे हैं, वैसे-वैसे इन्हें देखना संभव होता जा रहा है। इससे पहले 2006-07 में
भी एक लघु चाँद 18 माह तक धरती की परिक्रमा करके गया था। अभी देखा गया मिनी मून भी
ज़्यादा दिनों का मेहमान नहीं है। यह जल्द ही पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से खुद को
छुड़ा लेगा और वापस खुले अंतरिक्ष में निकल जाएगा, जहाँ से यह आया था। मुआ चाँद न
हुआ, भँवरा हो गया कि कुछ देर एक फूल पर मंडराकर चल दिया दूसरे की तरफ!
…तो चंदा मामा
निश्चिंत रहें, उनके वर्चस्व को खंडित करने वाला कोई नहीं है। ये छोटे-मोटे चार
दिन के चाँद आते-जाते रहेंगे लेकिन जब
चंद्रमा की बात छिड़ेगी, तो याद उन्हीं को किया जाएगा जो युग-युगांतर से धरती के
संग बंधन निभा रहे हैं। आखिर सीरत भी कोई चीज़ होती है!
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