“हुज़ूर, फसादों से आप और हम कब से चिंतित होने लगे? ये तो हमें हमेशा खूब फले हैं।”
चौपट राजा अपने
कक्ष में चिंता और गुस्से की मिली-जुली मुद्रा में बैठा था। चिंता हमेशा उसे
गुस्सा दिला देती है क्योंकि उसे तो दूसरों को चिंता में डालने की आदत है। ऐसे में
यदि कभी यह उसके गले पड़ जाए, तो गुस्सा आना तो लाज़िमी है।
तभी शाही वज़ीर
का वहाँ आना हुआ। हुज़ूर की मुखमुद्रा देखकर वह क्षण भर को ठिठका, फिर हल्के-से
गला खखारते हुए कक्ष में प्रविष्ट हो गया।
“कोई विशेष बात, महाराज?”
“आओ वज़ीर। कुछ खास
नहीं, थोड़ा तनाव-सा महसूस हो रहा था बस।”
“क्या कह रहे हैं महाराजाधिराज? तनाव महसूस
करें देश के दुश्मन! ”
“हमें लगा था तुम कहोगे,
तनाव महसूस करें आपके दुश्मन।”
“सेम डिफ्रेंस, महाबली।
अब बताइए, सेवक हाज़िर है।”
“ये जो फसाद चल पड़ा है
ना सड़कों पर, विश्वविद्यालयों आदि में…”
“बस, इतनी-सी बात? हुज़ूर,
फसादों से आप और हम कब से चिंतित होने लगे? ये तो हमें हमेशा खूब फले हैं।”
“तुम समझते नहीं, इस बार स्थिति ज़रा अलग है। कुछ
करना होगा।”
“आप चिंता न करें साहेब-ए-आला, सब कुछ संभाल लिया
जाएगा।”
“अरे, वह बात नहीं है। हम जानते हैं कि तुम्हारी
चाणक्यीय बुद्धि, हमारी चमत्कारी ज़बान, प्रसार जगत में बैठे हमारे भक्तगणों,
हमारी अंतरजालीय सेना और नागपुरी संतरों के भंडार के चलते सब जल्द ही सामान्य हो
जाएगा। नहीं, हमारी चिंता दूसरी है।”
“वह क्या, महाराज?”
“हमारी चिंता यह है कि इस फसाद के चलते दूसरे
राज्यों में हमारी छवि ज़रा गड़बड़ हो चली है। दूसरे राज्यों के वज़ीर और राजा
हमारे राज्य का दौरा टालने लगे हैं। हमें तश्तरी में अपने सर्वोच्च सम्मान परोसने वाले अब हमें उपदेश झाड़ने लगे हैं कि हमें शासन किस तरह करना चाहिए। हमें यह सब
ठीक नहीं लग रहा। कुछ करना होगा जिससे सीमाओं के पार हमारी छवि फिर चमकने लगे।”
वज़ीर पल भर को
सोच में पड़ गया, फिर चहक उठा। “एक उपाय है, महाराज। क्यों न आपके ओजस्वी जीवन पर एक विराट
चित्रपट का निर्माण कराया जाए? ”
“वह तो हमने पहले भी कराया था। लोग तो भुला ही
चुके, तुम भी भूल गए क्या?”
“नहीं सरकार, इस बार हम अंतर्राष्ट्रीय स्तर का
शाहकार बनवाएंगे। हॉलीवुड नगरी में इसका निर्माण होगा। दो-चार ऑस्कर पुरस्कारों की
भी सेटिंग कर लेंगे। आपके समुद्रपारीय मित्रों की टोली के माध्यम से वित्तपोषण में
तो कोई समस्या आएगी ही नहीं। रही बात नाम की, तो उसका कोई अच्छा-सा नाम भी रखवा
लेंगे, जैसे खाउडी, राउडी…।”
“तुम्हारा मतलब है हाउडी। खैर, तुम्हारी बात हमें
जम रही है। बस, एक बात का ध्यान रखना होगा।”
“वह क्या, जहाँपनाह?”
“पर्दे पर हमारे किरदार को जीवंत करने वाले
अभिनेता का चयन हम स्वयं करेंगे, इस बार यह किसी और के विवेक पर नहीं छोड़ेंगे।”
“जो आज्ञा, साहेब-ए-आला।”
इसके साथ ही
चौपट राजा एक बार फिर राष्ट्र सेवा में व्यस्त हो गया।
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