अनिष्ट का भय
किस कदर विवेक को हर लेता है, यह देखने के लिए सड़क पर एक बिल्ली दौड़ा दीजिए…।
वह लगातार
हॉर्न दिए जा रहा था और आगे निकलने को अधीर हो रहा था। मैं धीरे वाहन चलाने के लिए
कुख्यात हूँ, फिर चाहे टू व्हीलर हो या फोर व्हीलर, सो ऐसा मेरे साथ अक्सर होता
रहता है। ऐसे में मैं जल्द-से-जल्द साइड देकर पीछे आने वाले को ओवरटेक कर आगे
निकलने देता हूँ कि जा भई, तू भी खुश रह और मुझे भी शांति से गाड़ी चलाने दे। मगर
उस दिन काफी देर तक ऐसा मौका ही नहीं मिल पा रहा था। कभी वह सामने से आ रही किसी
गाड़ी के कारण मुझे ओवरटेक नहीं कर पाता, तो कभी मैं रॉन्ग साइड आ रही किसी गाड़ी
के कारण उसे साइड नहीं दे पा रहा था।
खैर, आखिरकार
मौका मिला, मैंने उसे साइड दी और वह फर्राटे से आपनी कार दौड़ाता हुआ मुझे ओवरटेक
कर आगे बढ़ गया। मैंने राहत की सांस ली… मगर यह क्या! ज़रा-सा आगे
जाकर ही वह अचानक रुक गया। गाड़ी से कोई उतरा भी नहीं। मुझे समझ नहीं आया कि जो
शख्स एक मिनट पहले तक अपनी मंज़िल पर पहुँचने के लिए बेतरह उतावला हो रहा था, वह यूँ
ठिठक क्यों गया। तभी मेरी नज़र उसके ठिठकने की वजह पर पड़ी। एक बिल्ली सरपट भागकर
सड़क के एक छोर से दूसरे छोर पर जा पहुँची। किसी अपशकुन-अनिष्ट का भय श्रीमान अधीर
के सारे उतावलेपन पर भारी पड़ा। मैंने मन ही मन हँसते हुए अपनी गाड़ी आगे बढ़ाई और
बिल्ली के काटे रास्ते को श्रीमान अधीर के लिए सुरक्षित बना दिया। अगले ही पल उसने
अपनी गाड़ी स्टार्ट की और एक बार फिर मुझे ओवरटेक करता हुआ कुछ यूँ तेज़ी से आगे निकल गया मानो उसके रास्ते से बारूदी सुरंगें
हटा दी गई हों।
ऐसा मैंने और
भी कई बार देखा है कि अच्छे-भले पढ़े-लिखे, आधुनिक नज़र आने वाले युवा तक बिल्ली
के रास्ता काटने पर ठिठककर रुक जाते हैं। अनिष्ट का डर विवेक की बोलती बंद कर देता
है। पढ़े-लिखेपन और मॉडर्निटी के लबादे की पोल खोलता हुआ अंधविश्वास चीख पड़ता
है कि अरे, राजा तो नंगा है!
पुनश्च: पता नहीं, बिल्ली मौसी जानती होगी कि नहीं कि उसके रास्ता पार करने मात्र से
इंसानों की दुनिया में कैसी खलबली मच जाती है…!
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