अदालत में तोते, बाज़ार से सामान मंगवाने वाले तोते और हत्या के गवाह तोते… ! कुछ दिन पहले दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में तेरह तोते पेश किए गए। अदालत में पशु-पक्षी पेश होने के मामले विरले ही होते हैं और यह ऐसा ही मामला था। एक उज़बेक नागरिक इन्हें चोरी-छुपे ताशकंद ले जाने का प्रयास करते हुए इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर धराया था और बरामद माल के तौर पर इन तोतों को कोर्ट में पेश किया जाना लाज़िमी था। बताते हैं कि जज साहब ने तोतों से यूँही पूछ भी लिया कि आप लोगों को कहाँ ले जाया जा रहा था। इस पर बंद बक्सों से बरामद थके-मांदे तोते चुप ही रहे…। यूँ तोते चुप रहने के लिए नहीं जाने जाते। टैं-टैं तो इनकी चोंच पर सदा बैठी ही रहती है, साथ ही इनकी ख्याति ही मुख्य रूप से इस बात के लिए है कि ये इंसानी बोली की ज़बर्दस्त मिमिक्री कर लेते हैं। एक समय अनेक घरों में छोटे पिंजरे लटकते पाए जाते थे, जिनमें पालतू तोता आने-जाने वालों के आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। अब पशु क्रूरता के प्रति जागरूकता के चलते या फिर किसी और वजह से यह चलन काफी कम हो गया है। जो भी हो, तोतों का बातुनीपन हमे...