जब आसमान के तारे गिरगिट की तरह रंग बदलें, तो अपनी आँखों पर कितना भरोसा करें?
गिरगिट रंग
बदलता है, इंसान भी रंग बदलता है। रंग बदलने वाले इंसान को अक्सर गिरगिट की उपाधि
से विभूषित किया जाता है। मगर अभी पिछले हफ्ते जो हुआ, वह अभूतपूर्व है। आसमां का
एक तारा रंग बदल बैठा! अमेरिकी अंतरिक्ष विज्ञानियों ने 6478 गॉल्ट नामक क्षुद्रग्रह
(छोटा तारा) को अपनी आँखों के सामने रंग बदलते देखा। देखते ही देखते यह लाल से
नीला हो गया। अंतरिक्ष विज्ञानियों का कहना है कि ऐसा होते हुए उन्होंने पहले कभी नहीं
देखा। वैसे उन्होंने इसका संभावित कारण
भी बताया है। उनका कहना है कि यह नन्हा तारा अपनी धुरी पर इतनी तेज़ी से घूम रहा
है कि समय-समय पर इसकी लाल रंग की धूल उड़कर अंतरिक्ष में निकल जाती है। उस दिन
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों के सामने भी कुछ
ऐसा ही हुआ। लाल धूल की परत उड़कर अंतरिक्ष में निकल गई और क्षुद्रग्रह की मूल
नीली परत दिखाई देने लगी।
तो रंग बदलने की फितरत धरती पर ही नहीं फैली, यह आसमान में भी जा पहुँची है।
वैसे मंगल औऱ बृहस्पति के बीच विचरते 6478 गॉल्ट की विचित्रता सिर्फ यही नहीं है
कि यह रंग बदलता है। इसकी एक और अनोखी हरकत वैज्ञानिकों को पहले से ज्ञात है। वह
यह कि क्षुद्रग्रह होने के बावजूद यह धूमकेतु (पुच्छल तारे) की मानिंद अपने पीछे
पूंछ लहराता चलता है…
वह भी एक नहीं, दो-दो पूंछ! गोया एक क्षुद्रग्रह धूमकेतु का भेस धरकर घर से निकला हो और
देखने वालों की आँखों में धूल झोंकता हुआ चला जा रहा हो। वैज्ञानिकों के अनुसार,
लाखों मील लंबी ये पूंछें और कुछ नहीं, इस बहुरूपिये तारे द्वारा उड़ाई गई धूल ही
है।
अब यदि किसी
दिन आप रंग बदलते, छल करते इंसानों से व्यथित महसूस कर रहे हों, तो यह सोचकर खुद
को तसल्ली दे सकते हैं कि इससे तो कहीं भी छुटकारा नहीं, सुदूर अंतरिक्ष में भी
नहीं। फिर क्या संताप करना! निर्लिप्त भाव से सब देखते चलिए। बस, अपनी आँखों देखी पर
आँख मूंदकर भरोसा मत कर बैठिए। क्या पता कब किसी धूमकेतु के आवरण में कोई
क्षुद्रग्रह जा रहा हो और कब कोई नीला रंग आपकी आँखों में लाल धूल झोंक दे!
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