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Showing posts from January, 2023

जब नया साल साथ लाता एक पुराना तनाव

मन में विचार आता कि बैंक कैलेंडर और डायरी छपवाता ही क्यों है और छपवाता है तो पिताजी इन्हें घर लाते ही क्यों हैं ! यह भी कि टीचर्स को डायरी की ज़रूरत ही क्यों पड़ती है और कैलेंडर ये किसी और से क्यों नहीं माँग लेतीं ?     डिजिटल होती ज़िंदगी ने कागज़-कलम को हमसे दूर कर दिया है। इसके साथ ही डायरी और कैलेंडर के मायने भी बदल गए हैं। एक समय था, जब घरों, दुकानों और दफ्तरों की दीवारों पर रंग-बिरंगे चित्रों वाले या फिर सिर्फ बड़े-बड़े अंकों वाले कैलेंडर सजे रहते थे। मोटी-मोटी डायरियों का भी अपना अलग ही ठस्का हुआ करता था। नया साल आते ही मध्यम वर्गीय परिवारों में नए कैलेंडर-डायरी का इंतज़ार शुरू हो जाता था। फलां जी की कंपनी के कैलेंडर बड़े शानदार होते हैं या अलां साहब ने पिछले साल बहुत बढ़िया डायरी दी थी, इस साल भी उनसे कहकर ले लेंगे…। मेरे पिताजी बैंक में सेवारत थे और हर साल घर के लिए व कुछेक लोगों को गिफ्ट करने के लिए अपने बैंक के कैलेंडर और डायरी लाया करते थे। यह सामान्य शिष्टाचार माना जाता था। इन्हीं में से एक कैलेंडर-डायरी का जोड़ा मुझे स्कूल जाते समय यह कहकर पकड़ाया जाता कि इसे अपनी