त्योहार बीतने के बाद आप खुद को बुझा-बुझा-सा पाते हैं या फिर ऊर्जावान ? इस सवाल का जवाब आपके बारे में बहुत कुछ कह जाता है। क्या त्योहारों के बीतने के ठीक बाद आप अपने भीतर एक रीतापन अनुभव करते हैं या फिर खुद को संतृप्त, समृद्ध महसूस करते हैं ? पर्व-उत्सव की खुशियों, उत्साह, उमंग का स्थान उदासी लेती है या संतुष्टि ? आप खुद को बुझा-बुझा-सा पाते हैं या फिर ऊर्जावान ? इन सवालों के जवाब आपके बारे में बहुत कुछ कह जाते हैं। पर्व-त्योहार हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखते हैं, अपनों के साथ मिलने-मिलाने का मौका देते हैं, रुटीन से हटकर आनंद के कुछ पल बिताने का न्योता देते हैं। मगर त्योहार बीत जाने पर कई लोग विषाद से ग्रस्त महसूस करते हैं। खुशियाँ मनाने के पल बीत जाने के बाद फिर वही रोज़मर्रा की ज़िंदगी में लौटने का विचार उन्हें अवसाद से भर देता है। और इस अवसाद से निकलने में उन्हें काफी वक्त लगता है। वहीं ऐसे लोग भी होते हैं, जो पर्व का भरपूर आनंद लेने के बाद नई ऊर्जा से उत्सव-पूर्व के जीवन में लौट आते हैं। त्योहार उन्हें ‘ रिचार्ज ’ कर जाते हैं। आप इन दोनों में से किस श्रेणी में आते है...