“ अक्षम्य ! ऐसा राष्ट्रद्रोह किसी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसे कठोर कारावास दिया जाए। ” चौपट राजा क्रोध में तमतमा रहा था। चौपट राजा ने रोज की तरह सधे कदमों से दरबार में प्रवेश किया। रोज की तरह शाही वज़ीर ने द्वार पर ही उनका स्वागत किया। रोज ही की तरह राजकाज की कार्रवाई राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार नागरिकों की पेशी से शुरू हुई। चौपट राजा ने सिंहासन ग्रहण करते हुए अभियुक्तों पर एक निगाह डाली और बोल पड़े, “ आज तो कई सारे गद्दार पकड़ लाए हो वज़ीर !” “ क्या करें महाराज, ” शाही वज़ीर बोला, “ लगता है राष्ट्रद्रोह अब किसी महामारी की भाँति फैलता जा रहा है। ” “ खैर, कार्रवाई शुरू की जाए ” , महाराज का आदेश हुआ। शाही वज़ीर ने पहला आरोपी पेश किया। “ महाराज, यह आदमी कल लोगों से यह कहते हुए देखा गया कि पता नहीं विकास कहाँ है, अब तो लगता है कि वह कभी नहीं आएगा। एक तो आपके द्वारा किया जा रहा चौतरफा विकास इसे दिखता नहीं, ऊपर से अनर्गल बोलकर दूसरों को भी आपके व देश के खिलाफ भड़का रहा था। ” “ मगर मैं तो अपने बेटे विकास के बारे में बोल रहा था ! वह साल भर पहले घर से चला ...