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Showing posts from July, 2020

बुद्धू बक्से पर “प्रीतम” का एनकाउंटर!

दूरदर्शन के स्वर्णिम युग में उस पर देखी गई फिल्मों की स्मृतियों के साथ ही नत्थी हैं उनके साथ हुए  “ एनकाउंटरों ” की भी यादें…। “ पिक्चर ” या “ मूवी ” या “ फिल्म ” को आधिकारिक भाषा में “ फीचर फिल्म ” कहा जाता है, यह हमारी पीढ़ी को दूरदर्शन ने सिखाया। जिस दौर में टीवी के नाम पर देश में दूरदर्शन के रूप में एक ही विकल्प था, तब इस पर प्रसारित होने वाली फिल्में सबसे बड़ा आकर्षण हुआ करती थीं। मगर दूरदर्शन ठहरा सरकारी महकमा, सो फिल्मी मनोरंजन की परोसगारी में भी अक्सर सरकारीपन झलक जाता था। अव्वल तो इस पर फिल्मों को हमेशा “ फीचर फिल्म ” कहकर संबोधित किया जाता था। फिर यह भी था कि ताज़ा-ताज़ा बनकर निकली फिल्म को थिएटर में प्रदर्शन से पहले एक बार सेंसर बोर्ड की कैंची से होकर गुज़रना पड़ता था लेकिन दूरदर्शन पर हर प्रदर्शन से पहले उसे खुद को मंडी हाउस के आकाओं की कैंची के हवाले करना होता था। … और वहाँ से वह किस रूप में निकलकर दर्शकों तक पहुँचती, यह बहुत कुछ तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री और दूरदर्शनी बाबुओं की सनक पर निर्भर करता था। इसका नतीजा कई बार हास्यास्पद और कभी-कभी “ हादस