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Showing posts from February, 2020

चार दिन का “दूसरा चाँद”

क्या यूँ ही कोई चंद रोज हमारे इर्द-गिर्द मंडराकर हमारा चाँद होने का दावेदार बन सकता है ? हमारे चाँद को एक प्रतिद्वंद्वी मिल गया है। आसमान की भीड़ में एक नया चाँद पाया गया है। मज़ेदार बात यह है कि यह नया चाँद करीब तीन साल से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है लेकिन अब जाकर नज़र आया है। यूँ इसे चाँद नहीं, लघु चाँद (मिनी मून) कहा जा रहा है। कारण यह कि आकार में यह अत्यंत छोटा है… तकरीबन मध्यम आकार की कार के बराबर। …तो बरसों पहले गुलज़ार साहब की लिखी पंक्ति “ चाँद चुराके लाया हूँ… ” जिन्हें सरासर अव्यवहारिक लगी थी, वे जान लें कि अब वास्तव में चुराए जा सकने वाले आकार का चाँद आसमान में मौजूद है। खैर, सवाल यह है कि हमारे चिर-परिचित चंदा मामा का एकाधिकार खत्म करने वाला यह नया चाँद आखिर कहाँ से आ टपका ! वैज्ञानिक बताते हैं कि दरअसल यह अंतरिक्ष में भटकता हुआ एक क्षुद्रग्रह है, जो धरती के गुरुत्वाकर्षण के चलते इस तरफ खिंचा चला आया। चूँकि यह फिलहाल पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है, सो यह उपग्रह की परिभाषा पर खरा उतरता है और चूँकि यह मानव निर्मित न होकर प्राकृतिक है, सो इसे चाँद कहा जा सकता है।